Thursday, December 29, 2016

Essay on notebandi in hindi

नोटबंदी पर निबन्ध 


 भारत सरकार  कालेधन से निपटने के लिए ८ नवम्बर २०१६ रात्रि १२%०० बजे से ५०० व १०००के नोटों को बंद करने का फैसला किया। माननीय प्रधानमंत्री मोदीजी के इस फैसले से कालाधन रखने वालोमे परेशानी देखने को मिली वही आम जनता ने प्रधानमंत्री मोदी जी का एक साहसिक कदम बताते हुए फैसले का स्वागत किया।  

नोटबंदी करने के कारण -
                     देश में बढ़ते भ्रष्टाचार] टेक्स चोरी करने वाले] कालाधन रखने वालो व कालेधन केउपयोग से होने वाले अपराधिक काम व देश की प्रगति में बाधक बनने वाली समस्याओ  से निपटने के लिए भारत सरकार ने ५०० व १००० के नोटो को बन्द करने का ऐतिहासिक  फैसला लिया।जिससे काले धन की रोकथाम हो सके और साथ ही साथ नकली नोट की भी रोक थाम हो सके  तथा लोगोके पास जो धन ] कालेधन के रूप में है वो भी बहार आ सके। 


नोटबंदी का आम जनता पर असर-
                 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के इस फैसले से आम जनता में काले धन से निपटने का हौसला तो जागा परन्तु धीरे धीरे जनता किपरेशानीय बढ़ती गयी।  लोगों को अपना काम छोड़कर सारा सारा दिन बैंक और एटीएम की  लाइन में लगना  पडा फिर भी वो अपना पैस न तो  निकल पाये और न ही जमा  करवा पाए। जिससे उनके रोजमर्रा   काम रूक गए।  नोटबंदी के कारण बीमार लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ा। वही जिन  घरो में शादिया  भी वयवस्था करने में काफी कठनाईयो का सामना करना पड़ा। 
  
 नोटबंदी का व्यपार पर असर -
                         नोटबंदी का असर जहा जनता पर हुआ वही व्यपारियो पर भी इसका असर असमान्य रूप से हुआ ५००व १००० के नोटों  के बंद होने से माल का आवागमन रूक गया।  छोटे नोटों की कमी के कारण लोग घरो में  उपयोग होने वाले रोजमर्रा के सामान भी खरीदने में असमर्थ हुए।   वजह से बाजार में सामान ख़त्म और महँगा होने की अफवाह भी खूब रही।  जिससे जनता को  काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।   

नोटबंदी की कमियां -
                              सरकार का नोटबंदी का फैसला पूरी तरह सफल  नहीं हो पाया। यह भ्राष्टचारियो और टेक्स चोरो को पकड़ने के लिए सरकार द्वारा जल्दबाजी में लिया गया फैसला प्रतीत होता है।  सरकार को अपने फैसले बार-बार बदलने पड़े हलाकि राजनैतिक विरोध के बाद भी ५०० व १००० के नोटों को बंद करने का फैसला वापस नहीं लिया गया।  छोटे नोटों की कमी को पहले ही पूरा कर दिया जाना चाहिए था इसमें भी सरकार की  दुरदर्शिता  की कमी नजर आयी।  बैंक पूरी तरह से इसके लिए तैयार नहीं थे।  जिसकी वजह से आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।  

नोटबंदी के लाभ - 
                        ५०० व १००० के नोटों को बंद करने का जो सबसे बड़ा कारण  पूरा होता दिखाई दिया।  धीरे-धीरे जो धन लोगो के पास कालेधन के रूप में था वो बहार आने लग गया।  नकली नोटे भी पुरी तरह से बाजार में खत्म  हो गए धीरे -धीरे टैक्स चोरी भी खत्म हो जायेगी। 

उपसंहार-
                यह सरकार का एक ठोस कदम कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ था।  जिसमे कई चुनोतिया थी कई राजनैतिक विरोध थे जनता की परेशानिया थी फिर भी जनता सरकार के साथ खड़ी दिखी।  कुल मिलकर ये फैसला न तो सफल कहा जा सकता है न ही असफल   


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